Kabir
आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व एक गरीब परिवार में कबीर का लालन पोषण हुआ था जिनके बारे में अनेक भ्रांतियां है लेकिन संत गरीबदास जी महाराज की वाणी का हवाला देते हैं हम यहां कुछ लिख रहे हैं संत गरीबदास जी महाराज ने बताया है कि वह कबीर लहरतारा नामक तालाब पर कवास शहर में प्रकट हुए थे जिस समय वह प्रकट हुए थे एक शिशु रूप बालक के रूप में थे वहां पर नीरू और नीमा नाम के दंपति सुबह के 4:00 बजे स्नान के लिए गए थे तथा पास में ही स्वामी राम रामानंद जी का शिष्य अष्ट आनंद जी साधना कर रहे थे बरम मूर्हत था स्वामी अष्टम जी ऋषि ने देखा एक प्रकाश का बहुत ही तेज गोला धरती पर लहरतारा नामक तालाब पर गिरता है जिसे देखकर स्वामीजी की आंखे बंद हो जाती है उस प्रकाश को अस्थमा के सहन नहीं कर पाती है जब वह आंखें बंद करके वापस खोलता है तो बालक की परछाई उस प्रकाश में नजर आती है अष्ट आनंद जी यह दृश्य देखकर अपने गुरु जी रामानंद जीके पास आ जाता है और सारा वृतांत अपने गुरुदेव रामानंद जी को बताता है रामानंद जी कहते हैं कि बेटा ऊपर से जब कोई अवतार किसी की मां के गर्भ से जन्म लेता है तो ऐसा ही होता है और उधर से नीरू नीमा नामक दंपति को वह बच्चा मिलता है उस बच्चे को नीरू नीमा दंपति घर ले आते हैं उसकी परवरिश की लिलाए कुंवारी गाय से होती है वैद्प्रमाण देते हैं और कबीर सागर में भी प्रमाण है उस कबीर ने बड़े होकर विद्वानों के छक्के छुड़ाए और समाज में फैली कुरीतियों को मिटाया उस कबीर ने समाज को आने को शिक्षाएं दी जो शिक्षाएं आज भी कारगर है एक ईश्वर के बारे में बताया जिससे हिंदू मुसलमानों का झगड़ा खत्म होगा उस कबीर में छुआछूत को मिठाई ब्राह्मणों को पंडितों को यह बताया कि तुम नहीं जो रूल बना रखे हैं वह गलत है हाला की सारी हीरोइन गलत नहीं थे लेकिन जो गलत था उसको गलत बताया छुआछूत भगवान ने नहीं बनाई यह तो यहां पर स्वार्थी लोगों ने बनाई है उस कबीर ने समाज को परमात्मा के संविधान से परिचित कराया उस कबीर ने परमात्मा का मार्गदर्शन कराया jagatguruampalji.org here#Teachings_Of_LordKabir
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